श्रुतलेखन भवन
15 हजार फीट के विशाल श्रुत लेखन भवन को दो विभाग होगे ।
महाराजा कुमारपाल लेखन भवन व मंत्रीश्वर वस्तुपाल लेखन भवन !
दोनों लेखन भवन में 54'-54 हस्त लेखकों की बैठक व्यवस्था रहेगी ।
हाथ बनावट के दीर्धायुषी सांगानेरी कागज पर हेन्ड मेईड केमिकल रहित स्याही से कलम द्वारा धर्मग्रंथों का लिखने का कार्य आर्य परंपरा का उचित वेश पहनकर 108 लहीयों से करवाया जायेगा ।
एक ऐसा दृश्य देखने को मिलेगा जो दुर्लभ हो ।
यह दोनों भवन के मध्यभाग में सरस्वती माता की मूर्ति बिराजमान की जायेगी ।
जो साधकगण को सद्बुद्धि की मूर्ति बिराजमान की जायेगी ।
जो साधकगण को सद्बुद्धि का बल व लेखकगण को लेखन बल प्रदान करेगी ।
जिससे सद्बुद्धि का विकास होगा ।
श्रद्धा का बल बढ़ेगा ।